22 जुलाई 2011
लंदन। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन जहीर खान की गैरमौजूदगी में अपनी टीम को सफलता दिलाने के मकसद से गेंदबाज की भूमिका निभाई। बतौर कप्तान धौनी ने टेस्ट मैचों में तीसरी बार और कुल चौथी बार गेंदबाजी की।
भोजनकाल तक इंग्लिश टीम ने तीन विकेट पर 217 रन बनाए थे। केविन पीटरसन और इयान बेल आउट होने का नाम नहीं ले रहे थे। जहीर की अनुपस्थिति ने भारतीय टीम के संसाधनों को सीमित कर दिया था, ऐसे में धौनी ने गेंदबाजी करने का फैसला करके सबको चौंका दिया।
दूसरे दिन शुक्रवार को भारतीय टीम को एकमात्र सफलता प्रवीण कुमार ने दिलाई थी लेकिन लम्बे स्पेल के बाद प्रवीण को जब गेंदबाजी से हटाया गया तब एक छोर से हरभजन गेंदबाजी कर रहे थे और दूसरे छोर से धौनी ने खुद कमान सम्भाली। इस दौरान विकेट के पीछे की जिम्मेदारी राहुल द्रविड़ के कंधों पर आ गई।
द्रविड़ के लिए विकेटकीपिंग कोई नहीं बात नहीं थी। वह लगभग दो वर्षो तक एकदिवसीय मैचो में विकेटकीपर की भूमिका निभा चुके हैं लेकिन धौनी का गेंदबाजी करने का फैसला खासा चौंकाने वाला रहा। उनके लिए यह बेशक नई बात नहीं होगी लेकिन क्रिकेट देखने वालों, खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट देखने वालों के लिए यह कुछ अलग नजारा था।
धौनी ने इससे पहले तीन मौकों पर तीन ओवर गेंदबाजी कराई थी। 21 जनवरी, 2006 को द्रविड़ की कप्तानी में फैसलाबाद में खेलते हुए धौनी ने पाकिस्तान के खिलाफ एक ओवर फेंका था, जिसमें उन्होंने 13 रन दिए थे।
इसके बाद कप्तान के तौर पर धौनी ने 19 दिसम्बर, 2008 को मोहाली में इंग्लैंड के ही खिलाफ एक ओवर फेंका था। इसमें उन्होंने एक रन दिया था। तीसरी बार धौनी ने 4 नवम्बर, 2010 को अहमदाबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक ओवर में फेंका था और पांच रन दिए थे।
धौनी को यह सब इसलिए करना पड़ा क्योंकि जहीर जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण दूसरे दिन गेंदबाजी नहीं कर सके। वह पहली पारी में गेंदबाजी नहीं कर सकेंगे। भारतीय टीम के प्रबंधक अनिरुद्ध चौधरी ने अपने बयान में कहा है कि उनके दूसरी पारी में गेंदबाजी करने के आसार हैं। वैसे जहीर के अब पूरी श्रृंखला से बाहर होने का खतरा टल गया है।
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